Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi
करों और फीसों का अधिरोपण, निर्धारण और संग्रहण
57. कर / फीस के अधिरोपण के लिए पंचायती राज संस्था द्वारा संकल्प - धारा 65 66,67,68 और 69 के अधीन कोई भी कर या फीस या अधिभार उद्गृहीत करने का या किन्हीं भी दरों में वृद्धि करने का विनिश्चय करने वाली प्रत्येक पंचायती राज संस्था इस आशय का संकल्प साधारण बैठक में पारित करेगी और उसके सार को उससे संभाव्यतः प्रभावित होने वाले व्यक्तियों की सूचना के लिए प्रकाशित करेगी।
58. आक्षेप आमंत्रित करने के नोटिस का प्रकाशन - (1) संबंधित पंचायती राज संस्था ऐसे कर या फीस या अधिभार के अधिरोपण के प्रति आक्षेप आमंत्रित करने को ऐसी साधारण सूचना के लिए उक्त संकल्प का एक नोटिस जारी करेगी।
(2) उपर्युक्त नोटिस की एक प्रति संबंधित पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद् के नोटिस बोर्ड पर लगायी जायेगी और एक प्रति सूचना के लिए तहसीलदार और कलेक्टर को अग्रेषित की जायेगी।
(3) पंचायती राज संस्था साधारण प्रचार के लिए स्थानीय समाचार पत्रों को प्रेस नोट भी जारी कर सकेगी।
(4) जिला परिषद् स्टाम्प शुल्क पर अधिभार अधिरोपित करने का प्रस्ताव करते समय नोटिस की प्रति जिला रजिस्ट्रार को तथा कृषि उपज पर अधिभार के मामले में निदेशक , कृषि, विपणन और जिले में कृषि उपज मण्डी समितियों के सचिव को भी भेजेगी।
59. आक्षेपों के लिए कालावधि - आक्षेप फाइल करने के लिए ऐसे नोटिस की तारीख से कम से कम एक मास की कालावधि अनुज्ञात की जायेगी।
60. आक्षेपों पर विचार - (1) नोटिस की कालावधि की समाप्ति के पश्चात पंचायती राज संस्था द्वारा प्रस्तावित अधिरोपण या वृद्धि से संभाव्यतः प्रभावित होने वाले व्यक्तियों से प्राप्त आक्षेपों पर उसकी साधारण बैठक में विचार किया जायेगा।
(2) पंचायती राज संस्था प्रस्ताव का अनुमोदन उपान्तरणों सहित या रहित कर सकेगी या उन्हें अस्वीकृत कर सकेगी और उक्त कर या करों या फीसों के उद्गृहण के लिए पुनः संकल्प पारित करेगीः परन्तु यदि संकल्प धारा 65 की उप-धारा (1) के खण्ड (घ) तथा (छ) या धारा 68 की उप-धारा (2) के अधीन अधिरोपित किये जाने के लिए प्रस्तावित किसी कर से संबंधित हो तो राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी भी अभिप्राप्त की जायेगी।
[टिप्प्णी - अधिनियम की धारा 65(1)(घ), 65(1)(छ) तथा 68(2) के तहत कर एवं चुंगी लगाने के प्रस्ताव संबंधित विकास अधिकारी के माध्यम से विभाग को भेजने होंगे। शेष धाराओं के तहत प्रस्ताव सरकार को नहीं भेजने होंगे]
61. सरकार की पूर्व मंजूरी - राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी की अपेक्षा वाले करों के अधिरोपण के मामले में, संबंधित पंचायती राज संस्था अपने द्वारा प्राप्त किये गये आक्षेपों के सारांश के साथ-साथ उन पर अपनी टिप्पणियों सहित अपने संकल्प की एक प्रति और एक अनुरोध पत्र राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के लिए निदेशक , ग्रामीण विकास को भेजेगी।
62. संकल्प का प्रकाशन और प्रवर्तन - (1) नियम 60 के उप-नियम (2) के अधीन संकल्प पारित करने और राज्य सरकार का अनुमोदन, यदि अपेक्षित हो, प्राप्त करने के पश्चात पंचायती राज संस्था निम्नलिखित को विनिर्दिष्ट करते हुए अंतिम रूप से एक नोटिस जारी करेगीः
(क) इस प्रकार मंजूर किये गये कर के ब्यौरे,
(ख) वह दर जिस पर उसे उद्गृहीत किया जायेगा,
(X) वह तारीख जिससे उसे निर्धारित और उद्गृहीत किया जायेगा,
(घ) कोई भी अन्य विषिष्टियां जो प्रभावित व्यक्तियों की सूचना के लिए आवश्यक हों।
(2) ऐसा नोटिस नियम 58 में विनिर्दिष्ट रीति से प्रकाशित भी किया जायेगा।
63. माँग की तैयारी और निर्धारित की गणना - (1) कर नियम 62 के अधीन जारी नोटिस में विनिर्दिष्ट तारीख से निर्धारित और उद्गृहीत किया जायेगा।
(2) तहसीलदार नियम 62 के अधीन संकल्प की प्राप्ति के पश्चात संबंधित पटवारी के माध्यम से माँग को तैयार और गणना को संचालित करवायेगा।
(3) पटवारी निर्धारणों की गणना करने के कार्यक्रम की सूचना विकास अधिकारी और पंचायत को देगा जो ऐसी गणना और माँग की तैयारी में सहायता करने के लिए पंचायत प्रसार अधिकारी, पंचों और सचिव को सहयोजित कर सकेंगे।
(4) माँग पटवारी द्वारा प्रपत्र 4 में तैयार की जायेगी।
64. तहसीलदार द्वारा निर्धारण का अनुमोदन - (1) तहसीलदार, पटवारी द्वारा करों की माँग, निर्धारण तैयार कर लिये जाने के पश्चात, उसकी जाँच करवायेगा और शुद्धियां, यदि कोई हों, करेगा, उनका अनुमोदन करेगा और एक प्रति संबंधित पटवारी को अग्रेषित करेगा।
(2) पटवारी अनुमोदित माँग अनुसार माँग पर्चियां संबंधित निर्धारिती का प्रपत्र 5 में जारी करेगा।
65. करों की नियत तारीखें - (1) नियम 64 के अनुसार निर्धारित कर, अप्रेल मास में पटवारी द्वारा जारी की जाने वाली माँग पर्चियों के अनुसार संगृहीत किये जायेंगे, कर की रकम मई मास में वार्षिक किस्त के रूप में जमा की जायेगी।
(2) विलंबित संदाय के लिए ब्याज जून की पहली तारीख से 12 प्रतिशत की दर से उद्गृहीत किया जायेगा।
66. निर्धारण के विरूद्ध अपील - ऐसे निर्धारण के प्रति कोई भी आक्षेप रखने वाला कोई भी निर्धारिती, यदि कर किसी पंचायत द्वारा उद्गृहीत किया गया है, तो उप-खण्ड अधिकारी को और यदि कर पंचायत समिति द्वारा उद्गृहीत किया गया है, तो कलेक्टर को और यदि कर जिला परिषद् द्वारा उद्गृहीत किया गया है, तो खण्ड आयुक्त को अधिनियम की धारा 71 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अनुसार अपील कर सकेगा।
67. करों की वसूली - (1) कर, पटवारी द्वारा वसूल किये जायेंगे जिसे संग्रहण प्रभार के रूप में 5 प्रतिशत का संदाय संबंधित पंचायत समिति के पी.डी. लेखे में या पंचायत लेखे में जमा की गई सकल कर प्राप्तियों में से ऐसी रकम की कटौती करके किया जायेगा।
(2) ऐसे निक्षेपों के ब्यौरे चालान रसीद नम्बर , संख्या. और तारीख को उपदर्शित करते हुए प्रति मास संबंधित तहसीलदार, विकास अधिकारी और पंचायत को अग्रेषित किये जायेंगे।
(3) पटवारी, प्रत्येक पंचायत या, यथास्थिति, पंचायत समिति के लिए प्रपत्र 6 में माँग संग्रहण रजिस्टर भी रखेगा। प्रत्येक वर्ष के लिए एक अलग रजिस्टर या एक पृथक् प्रभाग काम में लिया जायेगा।
(4) संबंधित पंचायती राज संस्था ऐसे करों की वसूली के लिए आवश्यक प्रपत्रों और रजिस्टरों का खर्च वहन करेगी।
(5) यदि पटवारी द्वारा उपर्युक्त उपनियम (1) (2) (3) में यथोपबंधित करों की वसूली नहीं की जाये तो वे अधिनियम की धारा 70 में उपबन्धतानुसार भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किये जायेंगे।
(6) स्टाम्प शुल्क पर अधिभार जिले में ग्रामीण क्षेत्रांे में अन्तरित और जिला परिषद् के पी.डी. लेखे में अन्तरित संपत्तियों के लिए उप-रजिस्ट्रार द्वारा वित्त विभाग द्वारा अधिकथित प्रक्रिया के अनुसार संगृहीत किया जायेगा।
(7) कषि उपज पर अधिभार जिले में सचिव, मडी समिति द्वारा संगृहीत किया जायेगा और जिले की जिला-परिषद् के पी.डी. लेखे में प्रति मास जमा किया जायेगा।
68. फीस का उद्ग्रहण - *(1) पंचायत जनता के प्रति की गई सेवाओं के लिए निम्नलिखित अधिकतम दरों के अध्यधीन फीस उदगृहीत कर सकेगी-
(I) आवेदन की फीस - 10/- रुपये
(II)निवास, जाति, आय आदि के लिए प्रमाण-पत्र के लिए - 20/-रुपये (अजा/ जजा के लिए 50%)
(III) नामान्तरण आदि के लिए उत्तराधिकारियों के प्रमाण-पत्र - 40/-रुपये (अजा/जजा के लिये 50%)
(IV) विद्युत के लिए या पाइप द्वारा जल प्रदाय के अनापत्ति प्रमाण-पत्र - 40/-रुपये(अजा/जजा के लिये 50%)
(V) आबादी भूमि के क्रय के लिए आवेदन - 20/- रुपये
(VI) स्थल रेखांक तैयार करने और स्थल निरीक्षण करने के लिए व्यय - 50/- रुपये
(VII) आवेदन और मुद्रण को सम्मिलित करते हुये राशन कार्ड - 10/- रुपये
(VIII) 30 दिन के पश्चात जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रीकरण - 20/- रुपये
(IX) भवन निर्माण के लिए अनुज्ञा (पक्के निर्माण के लिये प्रति वर्ग मीटर)
(X) पंचायत द्वारा पूर्व में ही अनुमोदित स्थल रेखांक में परिवर्धन/परिवर्तन
(XI)पंचायत की अनुज्ञा के बिना अप्राधिकृत निर्माण का नियमितिकरण यदि स्पष्ट हक हो मार्ग के अधिकार में रुकावट ना हो - 10/- रुपये (प्रतिवर्ग मीटर) (अधिकतम 1000/-)
(XII) पेटोल/डीजल पम्प - 2500/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(XIII) होटल/ढाबों/मोटर गाडी मरम्मत - 1000/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(XIV) कोई भी अन्य कारोबार इकाई - 200/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(XV) खनन के अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए संकल्प - 5000/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(XVI) मोबाईल टावर - 10000/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(XVII) अतिथि गृह/ होटल/ मोटल/ विश्रामगृह गृह के लिए फीस
(i) 5 कमरों तक - 1000/- रुपये (प्रतिवर्ष)
(ii) 6 से 10 कमरों के लिए - 2500/- रुपये (प्रतिवर्ष)
(iii) 11 से 15 कमरों तक - 4000/-रुपये (प्रतिवर्ष)
(iv) 16 और अधिक कमरों के लिए - 5000/-रुपये (प्रतिवर्ष)*
(2) ऐसी फीसें उदगृहत करने का निश्चय करने वाली पंचायत साधारण बैठक में संकल्प पारित करेगी और पंचायत सर्किल के निवासियों से तीस दिन के भीतर आक्षेप/ सुझाव आमन्त्रित करते हुये सूचना पट्ट पर नोटिस प्रकाशित करेगी।
(3) नोटिस की तारीख से तीस दिन की समाप्ति के पश्चात पंचायत, उपान्तरणों सहित या रहित संकल्प पुनः पारित कर सकेगी और आगामी मास की पहली तारीख से ऐसी फीसें प्रभारित करने का विनिश्चय कर सकेगी।
69. मेलों पर कर और फीसें - (1) पंचायत समिति/जिला परिषद् अपनी अधिकारिता के भीतर अपने द्वारा आयोजित और विनियमित किये जाने वाले मेलों तथा उत्सवों को विनियमित करने के लिए करों/फीसों के उद्ग्रहण का विनिश्चय कर सकेगी।
(2) ऐसी पंचायती राज संस्था किसी भी अधिकारी को मेला अधिकारी के रूप में पदाभिहित कर सकेगी।
(3) यदि कोई पशुमेला आयोजित किया जाये, तो रवन्ना फीस की दर संबंधित पंचायती राज संस्था द्वारा विनिश्चित की जायेगी।
(4) क्रेता अपने पशु का े तब तक मेला क्षेत्र के बाहर नहीं ले जायेगा जब तक कि उसने विहित फीस के संदाय के पश्चात प्रपत्र 8 में रवन्ना अभिप्राप्य न कर लिया हो।
(4) यदि कोई भी क्रेता रवन्ना के बिना अपने पशु को मेला क्षेत्र के बाहर ले जाते हुए पाया जाये, तो वह मेला अधिकारी के विवेकाधिकार पर ऐसी शास्ति, जो 200 रुपये प्रति पशुसे अधिक नहीं होगी, देने का दायी होगा।
(6) पशुओं के प्रवेश और निकासी के लिए जाँच चौकियां स्थपित की जायेंगी। मेला परिसर में प्रवेश करने वाले समस्त पशुओं के लिए मेला अधिकारी/जाँंच चौकी के प्रभारी द्वारा प्रपत्र 7 मंे प्रवेश पत्र जारी किया जायेगा।
(7) मेले में किये गये प्रत्येक विक्रय को प्रपत्र 9 में रजिस्टर किया जायेगा और क्रेता को सम्बन्धित पंचायती राज संस्था द्वारा नियत किये गये प्रभार के संदाय करने पर उसकी प्रति जारी जायेगी।
(8) कोई भी रवन्ना तब तक जारी नहीं किया जायेगा जब तक कि उप-नियम (7) में निर्दिष्ट रजिस्टार की एक प्रति प्रस्तुत न कर दी जाये।
70. देशी शराब पर चुंगी - *विलोपित*
*[राज. पंचायती राज (तृतीय संशोधन) नियम, 2011संख्या एफ.4(7) संशों / नियम/ विधि / पंरा./ 2010/ 1348
दिनांक 12.08.2011 द्वारा नियम हटाया गया , राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 18.8.2011 को प्रकाशित]
71. सिनेमा/थियेटर/विडियो शॉप पर मनोरंजन कर - (1) पंचायत समिति अधिसूचना संख्या एफ.8(76) एफडी/जीआर-4/73 दिनांक 9.3.1976 के अनुसार प्रति व्यक्ति टिकट की कीमत/ प्रभारांे क़े एक रुपया से अधिक न होने पर 100% की दर से मनोरंजन कर वसूल करेगी। यदि नियमित टिकट जारी नहीं किये जायें तो टिकटों की रकम प्रतिमास निर्धारित की जाये और तद्नुसार 100% कर वसूल किया जाये।
(2) यदि शोध्य रकम माँग पर जमा नहीं कराई जाये तो यह जिला कलेक्टर की मार्फ़त भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जायेगी।
72. व्यापारी, आजीविकाओं, व्यवसायों और उद्योगों पर कर की अधिकतम दरें - (1) पंचायत समिति निम्नलिखितानुसार अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए कर उद्गृहीत कर सकेगीः-
(I) अधिवक्ता - 300/- प्रतिवर्ष
(II) आइल प्रेस, कॉटन प्रेस, मुद्रण प्रेस, भाण्डागार और अन्य उद्योग (कुटीर उद्योगों के सिवाय) -
1000/- प्रतिवर्ष
(III) साहूकार - 1000/- प्रतिवर्ष
(IV) थोक और खुदरा व्यापारी, नीलामी कर्ता, ठेकेदार, कमीशन अभिकर्ता, आढतिये, कर्मषालायें -
500/- प्रतिवर्ष
(V) क्लिनिक, नर्सिंग होम, निजी अस्पताल - 300/- प्रतिवर्ष
(VI) निजी व्यवसायी, वैद्य, होम्योपैथ, दन्त चिकित्सक, पशु शल्य चिकित्सक - 150/- प्रतिवर्ष
(VII) वास्तुकार/अभियन्ता - 300/- प्रतिवर्ष
(VIII) होटल, लीजिंग हाऊस चलाने वाले - 500/- प्रतिवर्ष
(IX) अखबारों के सम्पादक/स्वामी - 250/- प्रतिवर्ष
(X) व्यवसायिक कलाकार, फोटो ग्राफर, अभिनेता, नर्तक, संगीतज्ञ - 120/- प्रतिवर्ष
(XI) सरकस/सिनेमा/विडियो शॉपों के स्वामी - 100/- प्रतिवर्ष (टिकटों के विक्रय पर 100%
मनोरंजन कर के अतिरिक्त)
(XII) पशुओं, यानों, डेयरी के व्यवहारी - 250/- प्रतिवर्ष
(2) नियम 58 से 60 तक में उपबंधित करों के अधिरोपण की प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा
सिवाय इसके कि इसमें सरकार की पूर्व मंजूरी अपेक्षित नहीं होगी।
भवन कर
73. भवन कर - धारा 165 की उप-धारा (1) के खण्ड (क) के अधीन भवनों पर कर पंचायत सर्किल के भीतर के भवनों पर उद्गृहणीय होगा और निम्नलिखित सीमाओं से अधिक नहीं होगा, अर्थात्-
प्रतिवर्ष कर की अधिकतम रकम
(I) जहॉं निर्मित पक्की छत का क्षेत्र 500 वर्ग फुट तक का हो - 100/- रु.
(II) जब क्षेत्र 501 से 1000 वर्ग फुट तक का हो - *300/-रु.*
(III) जब क्षेत्र 1001 से 2000 वर्ग फुट तक का हो - *500/-रु.*
(IV) जब क्षेत्र 2000 वर्ग फुट से अधिक का हो - *1000/-रु.*
परन्तु ऐसे घरों के लिए कोई भी कर संदेय नहीं होगा जो पत्थर/ईंटों से संनिर्मित्त नहीं है या जिनकी छत पत्थर की पट्टियों/आर.सी.सी. की नहीं है।
74. कर से छूट - (1) अधिनियम में या इन नियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी सरायों, धर्मषालाओं, पुस्तकालयों, विद्यालयों, औषधालयों, वाचनालयों और धार्मिक तथा पूर्त प्रयोजन के लिए प्रयुक्त भवनों पर कोई भी कर उद्गृहीत नहीं किया जायेगा, तथापि यह इस उपबंध के अध्यधीन होगा कि उनसे या उनके किसी भी भाग से कोई भी किराया अर्जित न किया जाये।
(2) किसी पंचायत सर्किल के भीतर केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के सभी भवनों को तथा ऐसे सभी भवनों को, जो किसी पंचायत या किसी पंचायत समिति या किसी जिला परिषद् या किसी नगरपालिकाओं बोर्ड के हों, या उनमें निहित हों, नियम 73 के अधीन भवन कर के भुगतान से छूट दी जायेगी।
(3) कच्चे घरो, एकीकृत गा्रमीण विकास कार्यक्रम के चयनित परिवारों, इन्दिरा आवास और ऐसे पक्के घरों पर जिनका फर्ष क्षेत्र 200 वर्ग फुट से कम का हो कोई भी भवन कर उद्गृहीत नहीं किया जायेगा।
75. निर्धारण सूची तैयार किया जाना - (1) पंचायत, भवन कर के प्रयोजनार्थ, पंचायत सर्किल के भीतर अवस्थित भवनों पर कब्जा या,
यथास्थिति, स्वामित्व रखने वाले अधिभोगियों/स्वामियों की एक सूची तैयार करवायेगी।
(2) सूची में पक्के निर्माण और कच्चे निर्माण का क्षेत्र पृथक्-पृथक् अन्तर्विष्ट होगा।
(3) किराये की आय, यदि कोई हो, भी उपदर्शित की जा सकेगी।
(4) यदि भवन नियम 74 के अनुसार छूट प्राप्त प्रवर्ग का है तो इस तथ्य का उल्लेख निर्धारण सूची में किया जाना चाहिए।
(5) कर नियम 73 में विनिर्दिष्ट अधिकतम दरों के भीतर-भीतर पक्के घरों के क्षेत्र के अनुसार निर्धारित किया जायेगा
76. निर्धारण सूची का प्रकाशन - (1) नियम 75 के अधीन तैयार की गई निर्धारण सूची को उसकी एक प्रति निर्धारण सूची के प्रकाशन की तारीख से 15 दिन के भीतर-भीतर उसके प्रति आक्षेप आमन्त्रित करने के एक नोटिस के साथ पंचायत के नोटिस बोर्ड पर लगाकर प्रकाशित की जायेगी।
(2) इस आशय की एक घोषणा सम्पूर्ण पंचायत सर्किल में डोंडी पिटवाकर की जायेगी कि सूची इस प्रकार प्रकाशित कर दी गई है और पंचायत कार्यालय में उसका निरीक्षण किया जा सकता है और निर्धारण सूची के प्रकाशन की तारीख से 15 दिन के भीतर-भीतर पंचायत में उसके प्रति आक्षेप फाइल किये जा सकते हैं।
(3) पंचायत ऐसे किन्हीं भी आक्षेपों की सुनवाई करेगी जो उक्त कालावधि के भीतर-भीतर किये जायें और सरपंच द्वारा निर्धारण सूची का संषोधन यदि आवश्यकहो तो किया जायेगा और वह हस्ताक्षरित की जायेगी।
(4) इस प्रकार अन्तिम रूप प्रदत्त निर्धारण सूची की एक प्रति पंचायत के नोटिस बोर्ड पर चिपकायी जायेगी।
77. भवन कर की वसूली - भवनकर 1 अप्रेल से प्रारम्भ होने वाले सम्पूर्ण वर्ष के लिए अग्रिम तौर पर वसूल किया जायेगा।
चुंगी
78. चुंगी चौकियां और चुंगी सीमाएं - यदि कोई पंचायत धारा 65 की उप-धारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन कोई चुंगी अधिरोपित करने का विनिश्चय करे तो चुंगी सीमाएं पंचायत सर्किल की बाह्य सीमाएं होंगी और पंचायत-
(क) वे मार्ग वर्णित कर सकेंगी जिनसे चुंगी के दायित्वाधीन माल और पशुचुंगी सीमाओं के भीतर लाये जावेंगे, और
(,ख) ऐसी चुंगी चौकियॉं, जो वह आवश्यकसमझे, प्रत्येक ऐसी चौकी को पंचायत के प्रभाराधीन रखते हुए स्थापित कर सकेगी और उनके लिए ऐसा अन्य स्थापन, जो वह ठीक समझे, कर सकेगी।
(ग) चुगी की दर वस्तुओं की कीमत के आधे प्रतिशतसे अधिक दर से अधिरोपित नहीं की जावेगी। आधे प्रतिशत से अधिक दर पर चुंगी अधिरोपित करने हेतु राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त की जावेगी।
(घ) पांच लाख से अधिक स्थायी पंूजी निवेश वाले उपायों पर चुंगी लगाने से पहले राज्य सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त करना आवश्यकहोगा।
[टिप्पणी - राज्य सरकार के आदेश अनुसार चुंगी समाप्त की जा चुकी है।]
79. माल और पशु लाने वाले व्यक्तियों के कर्तव्य - (1) चुंगी सीमाओं के भीतरचुंगीसंदाय करने के दायित्वाधीन माल या पशुओं को लाने वाले या प्राप्त करने वाले सभी व्यक्ति चुंगी कर्मचारी को उद्गृहीण चुंगी शुल्क की रकम अभिनिष्चत, निर्धारित और संगृहीत करने में समर्थ बनाने के लिए माल या पशुओं से सम्बंधित ऐसे समस्त बिल, बीजक, रसीदें या ऐसी ही प्रकृति के अन्य दस्तावेज, जो उनके कब्जे में हो, प्रदर्षित या प्रस्तुत करेंगे और ऐसे व्यक्ति अपने माल का मूल्यांकन कराने के प्रयोजनार्थ चुंगी कर्मचारी को हर सुविधाएं उपलब्ध करायेंगे और जब अपेक्षा की जाये तो उन्हें उन पर चुंगी शुल्क के निर्धारण या संग्रहण के, ऐसे शुल्क के संदाय की जाँच या इन नियमों के किसी भी अन्य उपबंधों के क्रियान्वयन के प्रयोजनार्थ सम्पूर्ण माल या पशुओं या उनके किसी भी प्रभाग का निरीक्षण, वजन, परीक्षा, मापन या अन्यथा मूल्यांकन अथवा व्यवहार करने देंगे।
(2) शुल्क्य माल या पशुओं को लाने वाले व्यक्ति के कब्जे में कोई भी बीजक या बिल या अन्य सुसंगत दस्तावेज के न होने या उनमें दर्शाये गये मूल्य को चुंगी कर्मचारी द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने की स्थिति में ऐसे व्यक्ति स्वयं द्वारा एक घोषणा कर और हस्ताक्षरित की जायेगी और माल या पशुओं को बाजार कीमत के अनुसार उन का बाजारो में मूल्याकन कराने के पश्चात चुंगी उद्गृहीत की जायेगी।
80. माल का निरीक्षण - प्रत्येक व्यक्ति, माँग किये जाने पर, किसी भी चुंगी कर्मचारी को अपने कब्जे के माल का निरीक्षण करने देगा।
81. चुंगी का निर्धारण – जहाँ कोई मूल्यानुसार चुंगी उद्गृहणीय हो वहाँ उसकी रकम की गणना, माल या पशुओं के मूल बिल या बीजक अन्य दस्तावेजां में दिये गये पूर्ण मूल्य के अनसु ार या, यथास्थिति, उनकी बाजार कीमत पर की जायेगी: परन्तु पंचायत किसी सहकारी सोसाइटी द्वारा परिवहित कराये गये माल पर प्रतिमास तयषुदा दरों पर चुंगी अधिरोपित कर सकेगी: परन्तु यह और कि पंचायत, पंचायत सर्किल में स्थित किसी भी उद्योग द्वारा प्रसंस्करण के प्रयोजनार्थ आयात किये गये माल पर चुंगी शुल्क मासिक रूप से तयषुदा दरों पर अधिरोपित और वसूल कर सकेगी तथापि, इस शर्त के अध्यधीन की आयात के प्रयोजन को सम्बन्धित जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक द्वारा सत्यापित किया जाये।
स्पष्टीकरण-‘‘पूर्ण मूल्य‘‘ में रेल भाडा, कमीशन या अन्य आनुषंगिक प्रभार सम्मिलित नहंी हैं।
82. चुंगी का संदाय - (1) चुंगी किसी चुंगी चौकी के प्रभारी अधिकारी द्वारा माँंगे जाने पर संदेय होगी।
(2) चुंगी के दायित्वाधीन माल या पशुओ पर चुंगी शुल्क किसी चुंगी चौकी या पंचायत कार्यालय पर संदत्त की जावेगी।
(3) जहाँ कोई भी चुंगी न हो वहाँं आयातकर्ता आयातित माल के मूल्य की एक घोषणा फाईल करेगा और वास्तविक वाउचरों के आधार पर सरपंच या सचिव का समाधान करेगा।
(4) किसी चुंगी चौकी का प्रभारी कर्मचारी या सचिव संदाय किये जाने पर प्रपत्र 10 में दो प्रतियों में एक रसीद लिखेगा जिसकी एक प्रति आयातकर्ता को दी जायेगी और दूसरी रसीद पुस्तिका में प्रतिपर्ण के रूप में रहेगी।
(5) पंचायत क्षेत्र में नियमित कारबार करने वाले व्यापारी भी मासिक आधार पर आयात किये जाने के लिए संभावित माल के मूल्य को घोषित कर सकेंगे और अग्रिम रूप से चुंगी जमा करा सकेंगे। पंचायत ऐसे माल के वास्तविक मूल्य को वाउचरांे में/व्यापारी द्वारा किये गये विक्रय के आधार पर निर्धारित करने के लिए स्वतन्त्र होगी।
83. रेल या मोटर परिवहन अभिकरण द्वारा लाया गया माल - (1) रेल से लाया गया माल या पशुजैसे ही रेल्वे के माल या सामान
यार्ड से बाहर जायें, चुगी की सीमाओं में प्रविष्ट हुये समझे जायेंगे और तब वे उसी रीति से चुंगी शुल्क के दायित्वाधीन होंगे जिससे सड़क द्वारा लाये जाने वाले माल या पशु होते हैं।
(2) मोटर परिवहन अभिकरणों या परिवहन के अन्य साधनों द्वारा लाया गया माल या पशु, चुंगी शुल्क के दायित्वाधीन होंगे, यदि वे चुंगी चौकी पर इस प्रकार दायित्वाधीन हैं, या जहाँ ऐसी कोई भी चौकी नहीं हैं वहाँं चुंगी शुल्क पंचायत कार्यालय में संदत्त किया जायेगा।
84. डाक से प्राप्त माल - (1) डाक-पार्सलों से प्राप्त माल, यदि वह चुंगी के दायित्वाधीन है, पंचायत कार्यालय में पेश किया जायेगा और उस पर चुंगी की रकम नियम 82 के उप-नियम (4) के अनुसार निर्धारित, वसूल और संदत्त की जायेगी।
(2) पंचायत डाक प्राधिकारियों के साथ ऐसी व्यवस्थाएं कर सकेगी जिनके द्वारा डाक-पार्सलों से प्राप्त समस्त माल की सूची, प्रेषितियों के नामों के साथ, पंचायत कार्यालय पर अभिप्राप्त की जा सकेगी और यदि ऐसा कोई भी पार्सल उस पार्सल की प्राप्ति के एक मास के भीतर-भीतर पंचायत कार्यालय में पेश नहीं किया जायें, तो पंचायत प्रेषिती के विरूद्ध ऐसे कदम उठा सकेगी जो उप-विधियों में उपबंधित किये जायें।
85. तुरंत परिवहन के लिए माल - (1) यदि चुंगी चौकी के प्रभारी व्यक्ति को यान के डाइवर के पास की माल रसीद के आधार पर यह समाधान हो जाय कि माल पंचायत की सीमाओं के बाहर तत्काल परिवहन किये जाने के लिए है, तो वह माल के पंचायत सीमाओं के बाहर सुरक्षित परिवहन के लिए प्रपत्र 11 में ऐसी रकम प्रभारित करेगा जो पंचायत द्वारा नियत की जाये।
(2) अभिवहन की कालावधि साधारणतया चार घण्टे से अध्ािक की नहीं होगी किन्तु यान के ठप्प हो जाने आदि की दशा में सरपंच उसमें 24 घण्टे तक की यथोचित छूट दे सकेगा।
(3) यदि कोई यात्रा अभिकर्ता कोई माल विक्रय या प्रदर्षन के लिए लाये, तो वह देय चुंगी शुल्क जमा करायेगा किन्तु अविक्रीत और न पंचायत सीमा के बाहर परिकृष्त माल के लिए प्रतिदाय का दावा 7 दिन के भीतर-भीतर कर सकेगा।
(4) यदि पंचायत सर्किल में निवास करने वाला कोई यात्रा अभिकर्ता विक्रय के लिए माल ले जाये, तो वह चुंगी चौकी पर दो प्रतियों में वस्तुओं की एक पूर्ण सूची देगा। एक प्रति अभिकर्ता को सम्यक् रूप से सत्यापित करके लौटा दी जायेगी। यदि वह 15 दिन की कालावधि के भीतर-भीतर सम्पूर्ण माल या उसका कोई भाग वापस लाये, तो यदि माल वहीं हो जो उस सूची में उल्लिखित किया गया था तो कोई भी चुंगी प्रभारित नहीं की जायेगी।
86. चुंगी में छूट - इन नियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, चुंगी निम्नलिखित माल पर उद्गृहित नहीं की जायेगी, अर्थात्ः-
(1) गोबरर्, इंधन, घास, चारा और शाखा काष्ठ के सिर पर ले जाये गये भार,
(2) ऐसा माल जिस पर संदेय चुंगी एक रुपये से कम हो,
(3) सेना के, या राज्य या केन्द्र सरकार के पुलिस या किन्हीं भी अन्य विभागों के उपयोगार्थ आयुध,
(4) पंचायत सर्किल में विनिर्मित या उत्पादित वस्तुएँ,
(5) किसी व्यक्ति द्वारा पंचायत सर्किल के भीतर अपने निवास पर रहने के लिए आने के अवसर पर आयात किया गया सद्भाविक वैयक्तिक और घरेलू माल,
(6) किसी बारात के फीते सहित या रहित पहनने के वस्त्र, बर्तन, उपस्कार और खाने की वस्तुएॅं,
(7) किसी पंचायत सर्किल के नये उद्योग स्थापित करने या उनके विस्तार के प्रयोजनार्थ या विद्यमान उद्योगों में की मषीनरी के नवीनीकरण या मरम्मत के लिए आयात की गयी मषीनरी, यदि आयातकर्ता राज्य के उद्योग विभाग से ऐसे आयात के प्रयोजन को सत्यापित करने का कोई प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर दे,
(8) पंचायत सर्किल में आयात किया गया उर्वरक,
(9) नये उद्योगों को स्थापित करने या विद्यमान उद्योगांे के विस्तार के प्रयोजनार्थ किसी भी पंचायत सर्किल में लायी गयी समस्त संरचना सामग्री, कच्ची सामग्री और संनिर्माण सामग्री निदेशक , उद्योग राजस्थान, जयपुर या उनके सम्यक् रूप से प्राधिकृत प्रतिनिधि से यह प्रमाण-पत्र पेश करने के अध्यधीन रहते हुए कि ये मदें पूर्वोक्त प्रयोजनों के लिए आवश्यकहै: परन्तु छूट निदेशक उद्योग विभाग द्वारा दिये जाने वाले प्रमाण-पत्र के अध्यधीन रहते हुए, उद्योग की स्थापना/विस्तार की तारीख से 7 वर्ष की कालावधि के लिए उपलभ्य होगी,
(10) राज्य सरकार के विशेष आदेश द्वारा किसी अन्य वस्तु के लिये दी गई छूट।
स्पष्टीकरणः- (1) संनिर्माण सामग्री पर छूट कारखाना शैड, कार्यालय भवन और चौकीदारी के क्वार्टरों के संनिर्माण में प्रयुक्त सामग्री पर लागू होगी। यह अन्य प्रवर्गो पर लागू नहीं होगी।
(2) कच्चे माल में पैकिंग सामग्री, उपस्कर, फिक्स्चर, पैट्रोल, तेल, स्नेहक, कोयला, इमारती लकड़ी, वातानुकूलन और प्रषीतन संयंत्र तथा विद्युतीकरण के लिए प्रयुक्त अन्य वस्तुएॅं सम्मिलित नहीं होंगी।
87. चुंगी के संदाय के उपवंचन के लिए शास्ति - यदि किसी पंचायत सर्किल में होकर गुजरने वाला माल या पशु चुंगी शुल्क के संदाय के दायित्वाधीन हो तो प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जो पंचायत को धोखा देने के आशय से चुंगी सीमाओं के भीतर ऐसे किसी माल या पशुओं का प्रवेश करवाता है या दुष्प्रेरित करता है, या स्वयं प्रविष्ठ करने का प्रयास करता हैं, जिनके संबंध में ऐसे प्रवेश पर देय चुंगी न तो संदत्त और न ही निविदत्त की गयी हैं, ऐसे जुर्माने से दण्डनीय होगा जो ऐसीचुंगीकी रकम का दस गुना तक हो सकेगा।
88. उप-विधियाँ - इन नियमों के अधीन देय चुंगी के विनियमन, निर्धारण, वसूली और संदाय के संबंध में इनकी अनुपूर्ति के लिए पंचायत द्वारा अधिनियम के अधीन ऐसी उप-विधियां बनायी जा सकेंगी जो इन नियमों से असंगत न हो।
यान कर
89. कर के दायित्वाधीन यानों का रजिस्टर - (1) जब किसी पंचायत ने धारा 65 की उप-धारा (1) के एक्ट (X) के अधीन यान पर कर उद्गृहित करने का विनिश्चय किया हो और इसके संबंध में नियम 59 से 62 तक में अधिकथित प्रक्रिया का पालन कर लिया हो तो पंचायत ऐसे कर के दायित्वाधीन यानों का एक रजिस्टर, प्रत्येक ऐसे यान के स्वामी का नाम और पता तथा उसके संबंध में देय कर की रकम विनिर्दिष्ट करते हुए, तैयार करवायेगी।
(2) कोई भी व्यक्ति, जो किसी यान को रखता है या भाड़े पर बनाता है चाहे वह ऐसे यान का स्वामी हो या उसका कब्जा रखने वाला कोई व्यक्ति हो या उसका उधारगृहिता हो या किसी भी अन्य हैसियत में उसका प्रभार रखता हो, उस यान पर का कर देने का दायी व्यक्ति समझा जायेगा।
(3) प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जो किसी यान का कब्जा लेता है जिसके लिए वह कर देने का दायी है उसका कब्जा लेने के 15 दिन के भीतर-भीतर ऐसे यान का कब्जा लेने के तथ्य की लिखित सूचना देने के लिए बाध्य होगा।
(4) किसी भी ऐसे व्यक्ति की, जिसका नाम उप-नियम (1) में निर्दिष्ट रजिस्टर में दर्ज किया जाये या ऐसे किसी भी व्यक्ति के अभिकर्ता को उक्त रजिस्टर का निःषुल्क निरीक्षण करने दिया जायेगा और उसके किसी भी प्रयास से ऐसे उद्धरण जो उस व्यक्ति से संबंधित हो, लेने दिये जायेंगे।
(5) जब जब भी आवश्यकहो, पंचायत ऐसे रजिस्टर को सही करवायेगी।
90. यान कर में छूट - कोई भी यान कर किसी यान के संबंध में तब उद्ग्रहणीय नहीं होगा-
(क) यदि वह मोटर यान अधिनियम, 1988 (1988 का केन्द्रीय अधिनियम 59) के अन्तर्गत कोई मोटर यान हो, या
(ख) यदि वह खेती के प्रयोजनार्थ प्रयुक्त होता है, या
(ग) यदि वह केन्द्र या राज्य सरकार का कोई यान हो, और सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त हो, या
(घ) यदि वह पंचायत समिति या जिला परिषद का हो।
91. कर की अग्रिम वसूली और अनुज्ञप्ति का जारी किया जाना - (1) यान कर प्रतिवर्ष अग्रिम रूप में संदेय होगा।
(2) जब कोई भी व्यक्ति किसी भी यान के संबंध में देय कर की रकम का संदाय करे, तो पंचायत उसे, ऐसे यान को उस कालावधि के लिए, जिससे संदाय संबंधित है, रखने या उपयोग करने के लिए प्रपत्र संख्या नम्बर 12 में अनुज्ञप्ति मंजूर करेगी।
92. कर की वसूली जब संदाय नहीं किया जाये - (1) यदि किसी यान के संबंध में कर नियम 91 के उप-नियम (1) के अनुसार संदत्त नहीं किया जाये तो सरपंच या पंचायत द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई भी कर्मचारी किसी भी समय यान को तब तक अधिगृहित कर सकेगा और विरूद्ध रख सकेगा जब तक ऐसा व्यक्ति समाधान के लिए यह साबित न कर दे कि उसने यान कर संदत्त कर दिया है।
(2) यदि अधिगृहित यान का दावा और उस पर देय कर का संदाय ऐसे अभिग्रहण की तारीख के पन्द्रह दिन के भीतर-भीतर न किया जाये तो पंचायत यह निर्देश दे सकेगी कि यान को लोक नीलाम द्वारा बेच दिया जाये और विक्रय के आगमों को यान पर देय कर के संदाय में उपायोजित कर लिया जाये।
(3) कर के रूप में शोध्य रकम के साथ-साथ कर की रकम की दुगुनी से अनधिक ऐसी शास्ति जिसका पंचायत निर्देश दे और अभिगृहण निरोध और विक्रय के संबंध में उपगत प्रभारी के मद्दे 200 रु. (दौ सौ रुपये) की राशि भी संदेय होगी और विक्रय आगमों में से वसूलीय होगी।
(4) यदि यान का स्वामी या उसका हकदार अन्य व्यक्ति अभिगृहण की तारीख से एक सप्ताह के भीतर-भीतर या विक्रय के पूर्व किसी भी समय उसके लिए दावा करें, तो वह उसे उस पर शोध्य कर और 200 रु. (दो सौ रुपये) के अनधिक ऐसी शस्ति जिसके लिए पंचायत निर्देश दे, संदाय पर लौटा दिया जायेगा।
वाणिज्यिक फसलों पर कर
93. विवरणियों का प्रस्तुत किया जाना - धारा 65 की उप-धारा (1) के खण्ड के अधीन वाणिज्यिक फसलों पर कर के अधिरोपण के लिए नियम 58 से 62 तक में अधिकथित प्रारम्भिक प्रक्रिया का पालन कर लिये जाने के पश्चात पंचायत सर्किल के भीतर अपने द्वारा अधिग्रहण भूमि पर धारा 65 के स्पष्टीकरण में पारिभाषित कोई भी वाणिज्यिक फसल उगाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसी फसल काटने के कम से कम एक मास पूर्व पंचायत के सरपंच को उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करे और निम्नलिखित उपविषिष्टयां अन्तर्विष्ट करने वाली विवरणी दें,
(क) उस गांव का नाम जिसमें वे भूमियॉं स्थित हैं जिन पर इस प्रकार फसल उगायी गयी है,
(ख) इन भूमियों का हेक्टेयर की दृष्टि से क्षेत्रफल जिनमें ऐसी वाणिज्यिक फसल उगायी गयी है,
(ग) उगायी गयी वाणिज्यिक फसल की प्रवृत्ति, और
(घ) ऐसे उगाने वाले का नाम, पिता का नाम और निवास स्थान।
94. जॉंच और कर का निर्धारण - (1) सरपंच विवरणी को सत्यापित करने के प्रयोजनार्थ ऐसी जाँच कर या करवा सकेगा जो आवश्यकसमझे और यदि वह ठीक समझे तो खेती के अधीन क्षेत्र को वास्तविक मापमान द्वारा या पटवारी के द्वारा रखे गये गिरदावरी अभिलेख से अभिनिश्चित करवा सकेगा।
(2) ऐसी जाँच के पूर्ण होने पर, तीन पंचों और सचिव से गठित एक समिति उस क्षेत्र का, जिसमें कोई वाणिज्यिक फसल उगायी गयी है, उसकी सम्भावित कुल उपज का और उस पर उद्गृहणीय कर की रकम का निर्धारण करेगी।
(3) उप-नियम (2) के अधीन निर्धारण कर लिये जाने के पश्चात सरपंच ऐसे निर्धारण का एक नोटिस व्यक्ति को दिलायेगा जिसने विवरणी दी थी।
(4) वाणिज्यिक फसलों पर कर की दर भू-राजस्व की दरों के बराबर की राशि होगी।
95. विवरणी प्रस्तुत करने में विफलता - यदि कोई्र व्यक्ति नियम 93 द्वारा उपेक्षित कोई विवरणी प्रस्तुत करने में विफल रहे तो सरपंच नियम 94 के उप-नियम (2) में निर्दिष्ट समिति के अनुमोदित से, पटवारी से या अन्यथा प्राप्त सूचना पर किसी भी समय अपनी सर्वोत्तम विवेक बुद्धि से नियम 94 द्वारा अनुध्यात निर्धारण कर सकेगा और ऐसे प्रत्येक मामले में नोटिस द्वारा पंचायत सर्किल के भीतर-भीतर की किसी भूमि पर वाणिज्यिक फसल उगाने वाले व्यक्ति को ऐसी निर्धारण की सूचना देगा।
96. निर्धारण में कमी करना - किसी निर्धारिती से या औेर से यह सूचना प्राप्त होने पर कि किसी कृषिक विपत्ति के कारण वाणिज्यिक फसल को किसी प्रकार से क्षति या नुकसान हुआ है, सरपंच जाँच करेगा और यदि उसकी राय में फसल को सारवान् नुकसान होना साबित होता है तो वह नियम 94 के उप-नियम (2) में निर्दिष्ट समिति के अनुमोदन से निर्धारित में यथोचित कमी कर सकेगा।
जल कर
97. जल कर अधिरोपित करने के लिए संकल्प - यदि कोई पंचायत, पंचायत सर्किल के भीतर सुरक्षित पेय-जल प्रदाय की व्यवस्था करने और उसे बनाये रखने के लिए धारा 65 की उप-धारा (1) के खण्ड (ड़) के अधीन जल कर अधिरोपित करने का विनिश्चय करे, तो वह ऐसा करने के अपने आशय का एक संकल्प पारित करेगाी।
98. जल कर और अन्य प्रभार - (1) किसी गांव में जहाँं पेयजल का प्रदाय किसी सार्वजनिक नल, पम्प और टंकी स्कीम या हैण्ड पम्पों के जरिये किया जाता है जिसे पंचायत चलाती है या जिसका संचालन और संधारण राज्य सरकार द्वारा पंचायत को सौंपा गया हो या पेयजल आपूर्ति के लिए पंचायत द्वारा सरकार को कोई राशि दी जाती है। उस गांव का प्रत्येक निवासी पाईप द्वारा जल प्रदाय के मामलो ंमें 1 रुपये ( एक रुपया) प्रति व्यक्ति प्रति मास और अन्य मामलों मंे इस तथ्य को विचार में लाये बिना कि वह सार्वजनिक नल/हैण्ड पम्प का प्रयोग करता है या नहीं 0.50 मासिक जल कर संदत्त करेगा। जहाँ जल का प्रदाय किसी उपभोक्ता के परिसर में बिना किसी मीटर के किया जाता हो, वहाँ 20 रुपये प्रति नल प्रति परिवार प्रभारित किया जायेगा।
(2) यदि कोई मीटर, उपभोक्ता को संबंधित पंचायत द्वारा उपलब्ध कराया गया हो, तो 5 रुपये प्रतिमास की दर से जल प्रभार और मीटर किराया जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग समय-समय पर निर्धारित दरों के अनुसार संगणित और वसूल किया जायेगा। उपभोक्ता को अपना स्वयं का मीटर लगाने के लिए भी अनुज्ञात किया जायेगा। ऐसे मामले में 5 रुपये मीटर किराया प्रभारित नहीं किया जायेगा।
(3) कोई भी व्यक्ति या तो स्वयं या अपने सेवकों या अभिकर्ताओं के जरिये संनिर्माण के प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक नल से जल तब तक अभिप्राप्त करेगा जब तक कि विनिर्दिष्ट प्रभारों के अग्रिम संदाय के पश्चात संबंधित पंचायत से अनुज्ञा अभिप्राप्त न कर ली गयी हो। यदि कोई व्यक्ति संनिर्माण प्रयोजनों के लिए इन नियमों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक नल से जल का उपयोग करता हुआ पाया जाये, तो वह जल कर की रकम के अतिरिक्त 200 रुपये तक का जुर्माना और 10 रुपये प्रतिदिन की ऐसी शास्ति, जो पंचायत विनष्चिय करे, देने का दायी होगा।
99. जल कर की वसूली - जल कर की वसूली निम्नलिखित रीति से की जायेगी-
(क) संबंधित पंचायत सार्वजनिक नल के लिए तथा निजी कनेक्षनों के लिए पृथक्-पृथक् बिल तैयार करेगी और उन्हें संबंधित व्यक्ति के पास संदाय की वास्तविक तारीख से कम से कम 7 दिन पर्वू पहुंचाने की व्यवस्था करेगी।
(ख) ऐसे प्रत्येक बिल में रकम, उसकी प्रकृति वह व्यक्ति जिससे वह शोध्य है और वह कालावधि जिसके लिए वह शोध्य है, और देय होने की तारीख के भीतर-भीतर जमा कराने पर 20% की रिबेट, विनिर्दिष्ट होगी।
(ग) यदि उस व्यक्ति द्वारा जल कर का संदाय 7 दिन के भीतर-भीतर न किया जाये, तो रिबेट अनुज्ञात नहीं की जायेगी और बिल की पूरी रकम, 15 दिन का नोटिस देने क पश्चात कुर्की वारण्ट की प्रक्रिया द्वारा वसूल की जायेगी।
(घ) उपभोक्ता के परिसर पर के निजी कनेक्षनों के मामले में, प्रभारी का समय पर संदाय करने में व्यतिक्रम करने पर, उपभोक्ता को 15 दिन का नोटिस देने के पश्चात कनेक्शन काट दिया जायेगा। उक्त कनेक्शन पंचायत द्वारा उद्गृहित शोध्यों का दुगुनी के बराबर शास्ति के साथ देयों का संदाय करने पर नवीकृत किया जायेगा।
100. जल कर के लिए उप - विधियों का बनाया जाना-संबंधित पंचायत अपने पंचायत सर्किल में जल प्रदाय को विनियमित करने के लिए विस्तृत उप-विधियां बना सकेगी।
तीर्थ यात्री कर
101. तीर्थ यात्री कर का अधिरोपण - कोई पंचायत, नियम 58 से 62 तक में अधिकथित प्रक्रिया का अनुसरण करने के पश्चात अधिनियम की धारा 65 की उप-धारा (1) के खण्ड (घ) के अधीन कोई तीर्थ यात्री कर लगाने का विनिश्चय कर सकेगी।
102. कर की कालावधि - स्थायी तीर्थ यात्रा के किसी स्थान के मामले में कर, वर्ष पर्यन्त अधिरोपित किया जा सकेगा या धार्मिक मेलों के मामले में ऐसी कालावधियों तक निर्बन्धित भी किया जा सकेगा।
103. तीर्थयात्री यानों पर कर - ऐसी कालावधि के दौरान यानों को खड़ा करने के लिए, बसों, कारों, टैक्सियों इत्यादि के लिए विभिन्न दरों पर कर उद्गृहित किया जा सकेगा।
104. संग्रहण के लिए प्रक्रिया - पंचायत कर को या तो जाँंच चौकी के माध्यम से संगृहित कर सकेगी या कर के ऐसे संग्रहण के लिए ठेका लोक नीलाम के जरिये आवंटित कर सकेगी।
[टिप्पणीः- पंचायत द्वारा तीर्थ यात्री कर लगाने से पूर्व राज्य सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य है जबकि अन्य कर पंचायत अपने स्तर पर लगा सकती है ।]
फीसों और करों की वसूली
105. शोध्यों के लिए बिल - (1) पंचायत को संदेय किसी भी कर फीस या अन्य शोध्यों की रकम के लिए, एक माँग पर्ची प्रपत्र 5 में तैयार की जायेगी और उसी दायित्वाधीन व्यक्ति को भेजी जायेगी।
(2) ऐसे प्रत्येक बिल में शोध्य रकम, उसकी प्रकृति वह व्यक्ति जिससे वह शोध्य है और वह कालावधि जिसके लिए वह शोध्य हैं, विनिर्दिष्ट होगी।
106. माँग का नोटिस - यदि इस प्रकार शोध्य राशि, उसके लिए बिल के प्रस्तुत किये जान के पन्द्रह दिन के भीतर-भीतर पंचायत कार्यालय में संदत्त न की जाये, तो पंचायत ऐसे व्यक्ति पर, जिसको कि ऐसा बिल प्रस्तुत किया गया है, प्रपत्र संख्या 13 में माँग का एक नोटिस तामील करवा सकेगी।
107. कुर्की और विक्रय का वारण्ट - (1) यदि वह व्यक्ति, जिस पर माँग का कोई नोटिस तामील किया गया है माँग के ऐसे नोटिस की तामील के पन्द्रह दिन के भीतर-भीतर नोटिस में मागी गयी राशि संदत्त नहीं करें या पंचायत के समाधान के लिए वह कारण दर्षित नहंी करे कि उसे क्यों नहीं वसूल किया जाना चाहिए तो वसूली के सभी खर्चो के साथ ऐसी राशि, व्यतिक्रमी की जंगम सम्पत्ति की कुर्की और विक्रय के लिए पंचायत द्वारा प्रपत्र 14 में जारी किये गये किसी वारण्ट के जरिये वसूल की जा सकेगी जो सचिव या अन्य लिपिक को संबोधित किया जायेगा।
(3) जहाँ कुर्की और विक्रय के लिए प्रस्तावित सम्पत्ति, कुर्की और विक्रय का वारण्ट जारी करने वाली पंचायत की अधिकारिता के बाहर हो, वहाँ ऐसा वारण्ट उस पंचायत के सरपंच को संबोधित किया जायेगा जिसकी अधिकारिता में ऐसी सम्पत्ति तत्समय है, और जहाँं वह ऐसे क्षेत्र में हो जिसके लिए कोई भी पंचायत नही है वहां वह अधिकारिता रखने वाले तहसीलदार को संबोधित किया जायेगा।
(4) उप-नियम (3) के अधीन वारण्ट प्राप्त करने वाली पंचायत का सरपंच या तहसीलदार उसे किसी भी अधीनस्थ अधिकारी को पृष्ठांकित कर सकेगा।
(5) इस नियम के अधीन जारी किया गया कोई वारण्ट व्यतिक्रमी की इतनी ही, जंगम सम्पत्ति की कुर्की और विक्रय के लिए देगा जो पंचायत की मॉंग और कुर्की तथा विक्रय के खर्चो की पूर्ति के लिए पर्याप्त हो।
108. कुर्की से छूट - निम्नलिखित सम्पत्ति नियम 107 के अधीन कुर्की और विक्रय के दायित्वाधीन नहीं होगी, अर्थातः-
(क) व्यतिक्रमी, उसकी पत्नी और बच्चों के आवश्यकपहनने के वस्त्र और बिस्तर,
(ख) औजार और कारीगर,
(ग) जहाँ व्यतिक्रमी कोई कृषक हो वहॉं उसके ख्ेाती के उपकरण, बीज, आगामी आठ मास तक के लिए उसके परिवार के लिए खाने-पीने की वस्तुएँं और उसकी गाय का बछड़ा, बछिया और अष्विका,
(घ) ऐसे आभूषण जिन्हें किसी स्त्री द्वारा छोडना रीति-रिवाज द्वारा प्रतिषिद्ध हो,
(ड़) श्रमिकों और घरेलू सेवकों की मजदूरियां चाहे वे धन के रूप में संदेय हो या जिन्स के रूप में,
(च) निर्वाह भत्ते के 50 प्रतिशतसीमा तक का वेतन!
स्पष्टीकरण-खण्ड (ड़) और (च) में ‘‘वेतन’’ से अभिप्रेत हैं किसी व्यक्ति द्वारा अपने नियोजन से छुट्टी पर या ड्यूटी पर प्राप्त की गयी कुल मासिक परिलब्धियां जिसमें राज्य या केन्द्र सरकार के किसी भी कानूनी आदेश के अधीन कुर्की से छूट पर पा्रप्त घोषित किया गया कोई भी भत्ता सम्मिलित नहीं है।
109. कुर्की के लिए प्रवेश - किसी भी अधिकारी के लिए जिसे नियम 107 के अधीन कुर्की और विक्रय का कोई वारण्ट सम्बोधित या पृष्ठांकित किया गया है, वारण्ट में निर्दिष्ट कुर्की करने के लिए सूर्योंदय और सूर्यास्त के बीच किसी भवन के किसी भी बाहरी या भीतरी दरवाजे को तोड़कर खोलना विधिपूर्ण होगा यदि उसके पास यह विश्वास करने के युक्तियुक्त आधार हो कि ऐसे भवन में ऐसी सम्पति है जो वारण्ट अधीन अभियोजन है और यदि वह अपने प्राधिकार और प्रयोजन को अधिसूचित करने तथा प्रवेश के लिए सम्यक रूप से माँग करने के पश्चात अथवा प्रवेश नहीं कर सकता हो:
परंतु ऐसा अधिकारी किसी महिला के लिए नियत किसी भी खण्ड में तब तक प्रवेश नहीं करेगा या उसके दरवाजे को तोडकर नहीं खोलेगा जहां तक कि उसने अपने आशय की युक्तियुक्त सूचना न दे दी हो और ऐसी महिला को हटने का अवसर न दे दिया हो।
110. कुर्की - (1) नियम 107 के उप-नियम (5) में अंतर्विष्ट उपबन्धों के अध्यधीन और नियम 108 में विनिर्दिष्ट अपवादों के भी अध्यधीन रखते हुए, वह अधिकारी जिसे कुर्की और विक्रय का वारण्ट सम्बोधित या पृष्ठांकित किया गया है जहाँ कहीं भी वह पायी जाये, कुर्क करने के लिए सक्षम होगा।
(2) ऐसा अधिकारी, सम्पति को कुर्क करने पर उसे हटाने या उसके समाधान के लिए पर्याप्त प्रतिभूति देने पर किसी भी अन्य व्यक्ति को संभलाने से पूर्व उस सम्पति की एक तालिका तत्काल बनायेगा और इस उप-नियम के अधीन तैयार की गयी प्रत्येक तालिका उस परिक्षेत्र के दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अनुप्रमाणित की जायेगी जिनकी उपस्थिति में वह तैयार की गयी थी।
111. क्षयशील सम्पति का विक्रय - जब कुर्क की गई सम्पति शीघ्रतया और प्रकृत्या क्षयशील हो तो जब तक माँग की रकम निविदत न की जाये, उसका तत्काल विक्रय किया जा सकेगा और विक्रय के आगम जमा की जा सकेगी।
112. कुर्की के प्रति आक्षेप - (1) कुर्की के अधीन की सम्पति के लिए कोई दावा करने वाला कोई व्यक्ति उसी तारीख के पन्द्रह दिन के भीतर - भीतर ऐसी कुर्की के विरूद्ध आक्षेप फाईल कर सकेगा।
(2) ऐसे आक्षेप के संबंध में वारण्ट जारी करने वाली पंचायत के सरपंच द्वारा या यदि ऐसा वारण्ट नियम 107 के उप - नियम (3) के अधीन किसी अन्य पंचायत के सरपंच को या, यथास्थिति, अधिकारिता रखने वाले तहसीलदार को संबोधित किया गया हो तो ऐसे सरपंच या तहसीलदार द्वारा अन्वेषण और निर्वर्तन किया जायेगा।
(3) यदि आक्षेप अकर दिया जाये तो कुर्क की गयी सम्पति कुर्की से मुक्त कर दी जायेगी या यदि नियम 111 के अधीन उसका विक्रय कर दिया गया हो तो उसके विक्रय आगम आक्षेपकर्ता को संदाय किये जायेंगे।
(4) आक्षेप का अंतिम निपटारा होने तक कुर्क की गयी सम्पति के विक्रय का आदेश नहीं दिया गया हो तो वह स्थगित हो जायेगा।
(5) उप-नियम (4) में की कोई भी बात नियम 111 के अधीन किये गये किसी विक्रय से संबंधित नहीं होगी या उसे किसी भी प्रकार प्रभावित नहीं करेगी।
113. कुर्क की गयी सम्पति का विक्रय - (1) निम्नलिखित मामलों में, अर्थात्ः-
(1) जब नियम 112 के अधीन कुर्की के प्रति कोई आक्षेप फाईल नहीं किया हो या यदि फाईल किया गया हो, तो अनुज्ञात कर दिया गया हो और
(2) जब व्यतिक्रमी अपनी सम्पति की कुर्की के पश्चात ऐसी कुर्की से पन्द्रह दिन के भीतर - भीतर मॉग की रकम संदत करने में विफल रहा हो ओर कुर्क की गयी सम्पति का नियम 111 के अधीन विक्रय नहीं किया गया हो तब ऐसी सम्पति का विक्रय उसके विक्रय के लिए नियत की जाने वाली किसी तारीख पर लोक नीलाम द्वारा किये जाने का आदेश दिया जायेगा जो कुर्की की तारीख के पश्चात के बीसवें दिन के पूर्व की नहीं होगी।
(2) लोक नीलाम द्वारा ऐसे विक्रय का नोटिस उस स्थान के आस-पास और उस गांव या कस्बे में जहाँ सम्पति का विक्रय तत्समय किया जाना हो, किसी केन्द्रीय स्थान पर डोंडी पिटवा कर उद्घोषित किया जायेगाः बशर्ते नोटिस के जारी होने की तारीख से उस तारीख तक जिसको नीलाम प्रारम्भ किया जाये, कम से कम पन्द्रह दिन का समय व्यतीत हो चुका हो।
(3) ऐसे नीलाम में बोली लगायी जायेगी और सबसे ऊँची बोली लगाने वाले व्यक्ति को इस प्रकार नीलाम की गयी सम्पति का क्रेता घोषित किया जायेगा।
(4) बोली की सम्पूर्ण रकम क्रेता द्वारा उस स्थान पर ही संदत की जायेगी।
(5) नियम 107 के अधीन कुर्की और विक्रय का वारण्ट जारी करने वाली पंचायत का सरपंच या कोई पंच, सरपंच या कोई भी अधिकारी जिसे वह संबोधित या पृष्ठांकित किया जाये और कुर्क की गयी सम्पति के विक्रय में लगा या नियोजन कोई भी अधिकारी उसके इस नियम के अधीन उसके किसी भी विक्रय में भाग नहीं लेगा।
114. विक्रय आगमों का विनियोजन - (1) नियम 111 या नियम 113 के अधीन किसी भी सम्पति के विक्रय के आगमों में से इसमें आगे उल्लिखित मदों का पूर्वोक्त क्रम में संदाय किया जायेगा।
(1) ऐसे विक्रय में उपगत खर्चो और उनके लेखे के शोध्य, यदि कोई हो
(2) किन्हीं भी कुर्क किये गये पशुओं का अनुरक्षण किसी पंचायत कांजी हाउस में उनके अनुरक्षण की दरों पर करने के खर्वे को सम्मिलित करते हुए कुर्की का खर्चा और
(3) पंचायत की माँग जिसको वसूली के लिए कुर्की और विक्रय का आदेश दिया गया था।
(2) उप-नियम (1) के खण्ड (3) में निर्दिष्ट संदाय कर दिये जाने और पंचायत के लेखे में जमा कर दिये जाने पर उसके लिए एक रसीद व्यतिक्रमी को दी जायेगी।
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