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राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 (अध्याय 13 अनुशासनात्मक कार्रवाई और दंड) | Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi (Chapter 13 Disciplinary Action and Penalties)

 


Rajasthan Panchayati Raj Rules,1996 in Hindi

राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996
अध्याय 13 
अनुशासनिक कार्यवाही एवं शास्तियाँ
 

297.आचरण नियम - समय-समय पर यथा संषोधित राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1971 में अन्तर्विष्ट सभी उपबंध पंचयत समिति और जिला परिषद् सेवा के कर्मचारियों पर यथावश्यक परिवर्तन सहित लागू होंगे। 

298.निलम्बन - (1) नियुक्ति प्राधिकारी या कोई भी प्राधिकारी, जिसका वह अधीनस्थ है, या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया कोई भी अन्य प्राधिकारी किसी पंचायत समिति या जिला परिषद् के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को निलम्बनाधीन रख सकेगा। 

(2) ऐसा आदेश  करते समय राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम 13 में अन्तर्विष्ट उपबन्धों और राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का अनुसरण किया जायेगा। 

299.शास्तियॉं - (1) अधिनियम की धारा 91 की उप-धारा (2) में उपबंधितानुसार विकास अधिकारी/मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर निर्धारित सभी या कोई दण्ड और अधिनियम की धारा 89 के अधीन गठित सेवा में संवर्गीकृत पदों पर नियुक्ति धारक सभी व्यक्तियों पर छोटी शास्तियां अधिरोपित की जा सकेंगी। 

(2) धारा 91 की उप-धारा (3) में उपबंधितानुसार बडी़ शास्तियां केवल जिला स्थापना समिति द्वारा ही अधिरोपित की जायेंगी। 

(3) राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम 14 के अन्तर्विष्ट उपबंध इस सम्बन्ध में यथावश्यक परिवर्तन सहित लागू होंगे। 

300.शास्तियां अघिरोपित करने के लिए प्रक्रिया - इस सम्बन्ध में राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम, 16,17,18 और 19 में अधिकथित जांच की प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा। 

301.अपीलें - (1) निलम्बन या दण्ड के आदेश के विरूद्ध अपील, अधिनियम की धारा 91 की उप-धारा (4) और (5) के उपबंधानुसार की जा सकेगी। 

(2) समय-समय पर यथा संशोधित राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम, 22,23,24,25,26,27,28,29,30,31 में अन्तर्विष्ट सभी उपबंध यथावश्यक परिवर्तन सहित लागू होंगे। 

302.पुनर्विवलोकन एवं पुनरीक्षण - पुनर्विलोकन और पुनरीक्षण की शक्तियां अधिनियम की धारा 97 के अनुसार राज्य सरकार को होंगी। 

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